कोरोना वायरसः जो 102 साल पहले की गलतियों को दोहराए उसका नाम अमेरिका है...


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अमेरिका में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस की वजह से 2350 लोगों की मौत हुई है। लगभग 24 हजार संक्रमण के मामले आए हैं। इसे कहते हैं सिर मुड़ाते ही ओले गिरना। अमेरिका में लॉकडाउन और पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है। राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी अमेरिका के 50 में से 40 राज्यों में स्कूल खोलने के पक्ष में हैं, जबकि 35 से अधिक राज्य अर्थव्यवस्था को खोलने की योजना पेश कर चुके हैं। लेकिन जिस तरह कोरोना से मौतों का सिलसिला अमेरिका में बढ़ता जा रहा है, उससे लगता नहीं है कि इसने इतिहास से कुछ सबक सीखा है। पूरी दुनिया में कोरोना महामारी से 2 लाख 58 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है, जबकि इनमें से अकेले अमेरिका में ही 72 हजार से ज्यादा की जान गई है। फिर भी लगता है इसने 1918 के स्पेनिश फ्लू महामारी से लॉकडाउन जल्दी हटाने के खतरों से कुछ सीखा नहीं है। 1918 में स्पेनिश फ्लू महामारी के दौरान जब अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को राज्य ने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में छूट दी, तो अचानक संक्रमण के मामले चरम पर पहुंच गए। महामारी का दूसरा दौर लौटकर आया, जो अमेरिकी इतिहास में विनाशकारी साबित हुआ। तब सैन फ्रांसिस्को ने स्पैनिश फ़्लू से जंग में ठीक वही गलती की, जो आज कई अमेरिकी राज्य कर रहे हैं।
तकरीबन 100 साल पहले सैन फ्रांसिस्को में हर किसी को फेस मास्क पहनने का आदेश दिया गया था, लेकिन आज अमेरिकी राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति ही इन नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। स्पेनिश फ्लू के संक्रमण के बीच सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इन पाबंदियों ने असर दिखाना शुरू किया और नए मामलों की संख्या में हफ्ते भर में भारी गिरावट दिखनी शुरू हो गई। लेकिन, कोरोना वायरस के खिलाफ मौजूदा जंग में अमेरिका में संक्रमण की रफ्तार हल्की धीमी होने के बाद नेताओं ने सार्वजनिक समारोहों और आयोजनों पर से पाबंदी हटा ली। महज महीने भर के बाद ही बताने लगे कि अब मास्क पहनना जरूरी नहीं है। हालांकि, बाद में यह गलती सुधारी गई। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, कोरोना वायरस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया और अब एक आकलन है कि मई के आखिरी सप्ताह के बाद से हर दिन लगभग दो लाख कोरोना वायरस के मामले आएंगे और रोजोना 3000 अमेरिकियों की जान इस वायरस की भेंट चढ़ने वाले हैं। ऐसे में वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं कि अमेरिका को 100 साल पहले की गलतियों के साथ मौजूदा गलतियों को भी सुधारने की जरूरत है। उसे हड़बड़ी में लॉकडाउन खत्म करने से पहले 100 बार सोचने की जरूरत है।
आइए जानते हैं कि 1918 में कैसे स्पेनिश फ्लू गिरफ्त में अमेरिका फंसा और आज वह उन्हीं गलतियों को दोहरा रहा है। 1918 में पहले विश्वयुद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिकी सैनिक अपने देश लौट रहे थे। इसी दौरान सैनिकों का एक जत्था सितंबर 1918 में सैन फ्रांसिस्को पहुंचा और अपने साथ यह घातक महामारी भी लेते आए। जब अधिकारियों को इसका पता चला, तो उन्होंने 18 अक्टूबर को 'सार्वजनिक मनोरंजन के सभी स्थानों' को बंद करने का आदेश दिया। लेकिन फ्लू के मामले बढ़ रहे थे और 21 अक्टूबर 1918 तक लोगों को आदेश दिया गया कि वे सार्वजनिक जगहों पर फेस मास्क पहनकर निकलें या फिर जेल जाने के लिए तैयार रहें। बिना मास्क के पकड़े जाने पर जेल के अलावा उन पर भारी जुर्माना भी लगाया जाता था। नवंबर की शुरुआत में पूर सैन फ्रांसिस्को में स्पेनिश फ्लू के 20,000 मामले आ चुके थे और लगभग 1,000 की मौत हो चुकी थी। लेकिन अक्टूबर की तुलना में संक्रमण की संख्या में तेजी से कमी आने लगी थी। इस वजह से राज्य में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता सहित सभी प्रतिबंधों को हटा दिया गया।
लोग गलियों में जश्न मनाने लगे, सिनेमाघरों और स्टेडियमों में भारी संख्या में भीड़ जुटने लगी। ऐसा लगा कि अब स्पेनिश महामारी पूरी तरह नियंत्रण में चुकी है। लेकिन लगभग 15 दिनों के बाद ही भयंकर आपदा आ गई और फिर से फ्लू का संक्रमण व्यापक स्तर पर तेजी से फैलने लगा। अब सरकार में बैठे लोगों के बीच एक-दूसरे को कसूरवार ठहराने का दौर शुरू हो गया। कहा जाने लगा कि महामारी के दोबारा शुरू होने की वजह पहले लगाई गई तमाम पाबंदियों को जल्दबाजी में हटाना है।
1 जनवरी 1919 के बाद एक दिन में लगभग 600 नए मामले आए थे और शहर में फिर से महामारी को रोकने की कोशिश शुरू की गई। अधिकारियों ने पहले की लगाई गई पाबंदियों को फिर से लागू कर दिया। यानी सोशल डिस्टेंसिंग को लागू कर दिया गया। फिर से बिना फेस मास्क पहने बाहर नहीं निकल सकते थे। पार्कों, स्कूलों, थिएटर, स्टेडियम, औद्योगिक संस्थानों सभी को बंद कर दिया गया। लेकिन इस बार इन नियमों को पालन कराना पहले की तरह आसान नहीं था। जैसे आज अमेरिका में घरों में रहनेके आदेश के खिलाफ लगभग सभी राज्यों में लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे है, तब लोगों ने मास्क लगाने के फैसले के खिलाफ 'एंटी-मास्क लीग'  बना लिया। जिस तरह आज ट्रंप प्रदर्शनकारियों के साथ नजर आते हैं, भले ही उनकी राजनीतिक और चुनावी मजबूरी हो, तब भी जनता के दबाव के कारण मास्क की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया। लेकिन इसका नतीजा यह निकला कि अकेले सैन फ्रांसिस्को में स्पेनिश फ्लू के 45,000 से अधिक मामले आए। यह पहले लागू किए गए लॉकडाउन की तुलना में दोगुना से भी अधिक संख्या थी।
आज अमेरिका ठीक उन्हीं गलतियों को दोहरा रहा है, जो उसने 102 साल पहले की थी। आज पूरे अमेरिका में 72 हजार से अधिक लोगों की कोरोना वायरस महामारी से मौत हो चुकी है, लेकिन पाबंदियों में ढील को लेकर अमेरिकियों और राष्ट्रपति ट्रंप की जिद लाखों अमेरिकियों की जान ले सकती है। हालांकि, ट्रंप तो पहले ही कह चुके हैं कि अगर मौतों की संख्या को एक से दो लाख के बीच रख पाएं, तो यह उनकी सबसे बड़ी सफलता होगी, जो फिलहाल असफलता की ओर ही बढ़ती जा रही है।

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