बुंदेलखंड और पानी की समस्या

भवरां तोरा पानी ग़जब कर जाए।
गगरी न फूटे भले खसम (पति) मर जाए।।

ये पंक्तियां मेरी नहीं हैं। पर इसकी समस्या मेरी जरूर है। बहुत पहले की बात है, चित्रकूट-बुंदेलखंड और पानी की समस्या पर एक रिपोर्ट देख रहा था या शायद अखबार में खबर पढ़ी थी। तभी से मुझे याद है ये पंक्तियां। बुंदेलखंड के लिए रोने-चिल्लाने वाले आज भी हैं। दिल्ली में गर्मी का पारा दिन-ब-दिन चढ़ता जा रहा है। सत्तानशीं एयरकंडीश्नड कमरे में पैक हो चुके हैं। बुंदेलखंड के लिए लड़ने वाले सभी मीडियाकर्मी भी सानिया की शादी के पीछे कैमरा रूपी शस्त्र भिरा चुके हैं। सर्दी के मौसम में बुंदेलखंड का मु्द्दा काफी उठा. प्रधानंमंत्री ने राहुल बाबा के प्रयासों के चलते करोड़ों की सहायता राशि यहां के लोगों के लिए आवंटित की। लेकिन यह खबर कहीं नहीं है कि इन्हें जिस समस्या के लिए सहायता दी गई है, उन तक पहुंच भी रही है या नहीं। या एक बार फिर जब राहुल बाबा के उत्तराधिकारी भविष्य में यह कहते फिरेंगे कि गरीबों के लिए जो पैसा आवंटित होता है, वह उन तक दो पैसा भी नहीं पहुंचता है। बुंदेलखंड की बात करें तो जरा सोचिए गर्मी के मौसम में क्या हाल होता होगा। सर्दी में ही जब वहां पानी की किल्लत रहती है तो गर्मी के बेरहम मौसम में उनकी हालत का अंदाजा लगाना परेशान कर जाता है। पानी के एक-एक बूंद के लिए तड़पना। जिस पानी के लिए वहां नलकूपों से खूनों की धारा बहाई जाती है, अब वहां क्या हाल होता होगा। कितने पानी के बगैर तड़प भी रहे होंगे। पर किसी को कई फर्क नहीं पड़ता है। फर्क तब पड़ेगा, जब वहां कुछ अलग किस्म की वारदात होगी। उसके बाद हमारे मीडिया के बंधु जाएगें। बड़ी धांसू सी खबर बनाएंगे। इमोशनल अत्याचार करेंगे अपनी खबरों के माध्यम से और हम सभी अपने घरों में फ्रीज का पानी पीते हुए रिपोर्ट की वाहवाही करेंगें। उस रिपोर्ट को एनटी अवार्ड में पुरस्कृत भी किया जाएगा। हमारी संवेदना इतनी मर चुकी है कि हम घर बैठे, अपने कमरे में आरामतलब होकर दर्द का एहसास करना चाहते हैं।

1 comment:

  1. bilkul sahi kaha chandan bhai....
    shayad in samasyaon se kisi ko farq nahi padta... na hi patrakaron ko aur na hi netaon ko....
    yeh awaaz humein hi uthani hogi....
    achhi rachna ke liye badhai.......
    kabhi mere blog par bhi padhaarein....

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