जीने से पहले मरना

आज जीवन जीने वाला,
कितनी बार मरता है,
हर पल जीने से पहले,
वह कई मर्तबा मरता है
मरने की सोचना आज नियति है,
जीना बस एक झूठा सपना है,
हर सपना रात के अँधेरे में,
एक नयी उम्मीद जगाता है,
सुबह सपना भी टूट जाता है,
टूटना सपने की नियति है,
ठीक उसी तरह जैसे,
जीने के बीच मरना नियति है।
इसी उधेड़बुन में हमारी जिंदगी,
कहीं पीछे छूट जाती है।

8 comments:

  1. मरने से पहले मरते सौ बार हम जहाँ में
    चाहत बिना भी सच का पड़ता गला दबाना

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. ek dam sahi baat kahi.
    acchhi rachna.

    aap vahi chandan kr. ji to nahi jo mere orkut profile list me hai?

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  3. ठीक उसी तरह जैसे,
    जीने के बीच मरना नियति है।
    इसी उधेड़बुन में हमारी जिंदगी,
    कहीं पीछे छूट जाती है।
    बहुत उम्दा भाव।

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  4. dhanyawad anamika ji... aapne meri kavita ko saraha.

    maafi chahunga but, sorry mai aapke orkut profile me nahin hu

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  5. बहुत बढ़िया चंदन भाई!! बधाई.

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  6. BAHUT KHUB

    BADHAI AAP KO IS KE LIYE

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  7. thanx aap sabke support aur hauslaafzayee ke liye....

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