बांग्लादेश बनने की त्रासद कहानी

हामिद मीर के लेख का दूसरा हिस्सा...
मेरे एक वरिष्ठ साथी अभी भी जीवित हैं। उनका नाम अफजल खान है। वह 73 बरस के हैं। वह असोसिएट प्रेस ऑफ पाकिस्तान के लिया काम कर चुके हैं। वह 1980 से 1985 तक पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के महासचिव रहे। बांग्लादेश में सेना के ऑपरेशन कवरेज के लिए अफजल खान को 28 मार्च 1971 को ढाका भेजा गया था। उन्होंने मुझसे कई दफा कहा, हां मुक्ति-वाहिनी ने बहुत से बेगुनाहों का कत्ल किया। पर जो पाकिस्तानी आर्मी ने किया वह किसी लिहाज से एक राष्ट्रीय सेना का काम नहीं हो सकता था। एकबार वह तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के खुलना स्तिथ रेस्ट हाउस में ठहरे थे। तब पाकिस्तानी सेना के एक मेजर ने उन्हें एक लड़की के साथ रात गुजारने का ऑफर दिया। जब अफजल खान ने पूछा कि वह लड़की कौन है, तो मेजर ने बताया, वह स्थानीय पुलिस अधिकारी की बेटी है और उसे यहां बंदूक की नोक पर लाया जा सकता है। इस घटना के बाद अफजल खान लाहौर लौट आए। वह कहते हैं, जिन लोगों ने बांग्लादेशियों के साथ बलात्कार और उनका नरसंहार किया, उन्हें पाकिस्तान में कभी इज्जत नहीं मिली। जनरल याहया खान का नाम पाकिस्तान में अबभी गाली के तौर पर इस्तेमाल होता है। उसके बेटे अली याहया खान ने हमेशा लोगों से छुपने की कोशिश की। जनरल टिक्का खान को भी बंगाली कसाई के तौर पर याद किया किया जाता है। जनरल एएके नियाज़ी टाईगर ऑफ बंगाल बनना चाहते थे, लेकिन जैकॉल ऑफ बंगाल यानी बंगाल का शैतान के तौर पर जाने जाते हैं। पाकिस्तान का बहुसंख्यक तबका उन सभी से नफरत करता है, जिन्होंने उनके बांग्लादेशी भाइयों का नरसंहार किया। यही वजह है कि इन आर्मी ऑफीसर के परिवार वाले सार्वजनिक तौर पर यह भी जाहिर नहीं करते कि उनके पिता कौन थे। इसके बावजूद कुछ लोग हैं, जो इन भयंकर भूल को कबूलने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि ये लोग बहुत कम संख्या में हैं, लेकिन शक्तिशाली हैं। मैं इन सभी को उस पाकिस्तान का दुश्मन समझता हूं, जिसके लिए मेरी मां ने अपने परिवार की कुर्बानी दे दी। भला हमें क्यों इन दुश्मनों का बचाव करना चाहिए? हमारी लोकतांत्रिक सरकार क्यों नहीं बंगालियों से आधिकारित तौर पर माफी मांगती है? इस माफी से पाकिस्तान कतई कमजोर नहीं होगा, बल्कि वह मजबूत और सशक्त बनेगा। मैं आश्वस्त हूं कि पाकिस्तान तेजी से बदल रहा है। वह दिन बहुत जल्द आएगा, जब पाकिस्तानी सरकार आधिकारिक तौर पर बांग्लादेशियों से माफी मांगेगी। फिर 26 मार्च का दिन देशभक्त पाकिस्तानियों के लिए माफी दिवस बनेगा। मैं यह माफी इसलिए चाहता हूं, क्योंकि बंगालियों ने ही पाकिस्तान बनाया। मैं यह माफी इसलिए चाहता हूं, क्योंकि बंगालियों ने जनरल अयूब खान के खिलाफ जिन्ना की बहन का समर्थन अपनी आखिरी सांस तक किया। मैं यह माफी चाहता हूं, क्योंकि मैं सबकुछ भूलकर बांग्लादेश के साथ एक नए संबंध की शुरुआत चाहता हूं। मैं अपने गंदे अतीत में नहीं जीना चाहता। मैं साफ-सुथरे भविष्य में जीना चाहता हूं। मैं एक उज्जवल भविष्य न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि बांग्लादेश के लिए भी चाहता हूं। मैं यह माफी इसलिए चाहता हूं, क्योंकि मैं पाकिस्तान से मोहब्बत करता हूं। मैं बांग्लादेश से मोहब्बत करता हूं।
-हामिद मीर, कार्यकारी संपादक, जीओ टीवी (पाकिस्तान)।

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