मेरे चाचा की भागी हुई बेटी

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। वह कुछ बात क्या है, यह मत पूछिए। पर कुछ बात है जो हमारी हस्ती मिटने नहीं देती है। मुझे अभी भी याद है, हालांकि उस वक्त मै बहुत छोटा था। यही कोई 4-5 साल का। हमारे चाचा की लड़की घर से भाग गई थी। गांव में शादी थी। शादी के पहले रस्म को वह बुआ और बहन के साथ देखने गई थी। दूसरी दफा अकेली गई तो लौटी नहीं। सुबह ही पता चल सका कि वह तो राजपूत के लड़के के साथ भाग गई है। उस लड़के के साथ जिसके खानदान का सात पुश्त गुंडा यानी क्रिमिनल था। उसके भागने के बाद गांव में बहुत हंगामा हुआ था। हालात मारकाट के थे। चाचाजी इतने गुस्से में थे कि वह कुछ भी करने को तैयार थे। आखिर में गांव के बुद्धिजीवी और तथाकथित इज्जतदार लोगों ने एक सुझाव दिया। वह जिसके साथ भागी है, उसके पास जाया जाए। इन सबको लगता था कि वह भागी नहीं, बल्कि भगाई गई है। लेकिन, जब दो-चार लोग उसे बुलाने के लिए लड़के के ठिकाने पर गए तो लड़की ने अपने बाप यानी हमारे चाचाजी और अपने चाचाजी को पहचानने से ही इंकार कर दिया। बाद में मामला पुलिस तक पहुंचा। कुछ लोगों को चाचाजी ने बेटी को भगाने के जुर्म में फंसाया। उन पर मुकदमा दर्ज करवाया। पर, बाद में सुना गया कि चाचाजी का बेटा खुद अपनी भागी हुई बहन के यहां आता-जाता है। वहां से अपने घर के लिए धन लाता है। दकअसल, हमारे चाचा बहुत गरीब थे। सिंचाई विभाग में नौकरी करते थे। पर, बिहार सरकार की छंटनी के बाद बेकार हो गए थे। वह कहीं काम की तलाश में भी नहीं गए। घर पर निठल्लों की तरह बैठे फिर से बहाली की बाट जोहते रहते थे। इस तरह, घर की माली हालत बदतर होती गई। शायद इसीलिए बेटी भाग गई। क्योंकि उसे गरीबी और इज्जत की जिंदगी पसंद नहीं थी। गरीबी भगाने के लिए वह भाग गई, क्योंकि अक्सर सुना करता था कि जिस लड़के के साथ वह भागी है, उसके पास 4-5 किलो सोना और ढेर सारा रुपया है। वह बनारस में रहता है और वहां गांजा, चरस और अफीम वगैरह का कारोबार करता है। यह उसका पुश्तैनी बिजनेस था, क्योंकि पापा बताते थे कि उसके दादा भी यही काम करते थे। बाप तो इससे भी बढ़कर निकला। उसने पैसे की खातिर दो शादियां भी की थीं। पहले वाली शादी से समाज में नाम हुआ, दूसरे से बिजनेस में। बचपन के बाद एक बार फिर से 20 साल बाद चाचाजी की उसी बेटी को देखा।
                                                                                           अगले अंक में जारी...

1 comment:

  1. हम्म! आगे सुनाईये किस्सा..

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