पुरुषों का दोगला चेहरा

कल्बे जव्वाद साहब। जनाब मुस्लिम धर्मगुरू हैं। इन्होंने हाल फिलहाल में फरमाया है कि महिलाओं को सिर्फ लीडर पैदा करना चाहिए, उन्हें लीडर नहीं बनना चाहिए। यानी औरतें बस बच्चे पैदा करने के लिए है और उन्हीं से पैदा हुए बच्चे उनका ही अपमान करते हैं। कहते हैं इस्लाम में सबके के लिए बराबरी की बात कही गई है। तो क्या यहां सभी का मतलब सिर्फ पुरुषों से है? महिलाओं के लिए कहीं जगह ही नहीं है। हाल में भारतीय संसद में महिला विधेयक को लेकर एक तरह से इतिहास रचा गया। इसके बावजूद लोगों की मानसिकता में बदलाव आना तो दूर, जरा सा भी फर्क नहीं पड़ा है। इस तरह यदि देखें तो हमेशा से हम पुरुष महिलाओं को दोयम दर्जे का बनाकर ही रखना चाहते हैं। हमें लगता है कि महिलाएं यदि घर से बाहर कदम रखने लगीं तो उनकी सत्ता को चुनौती मिलने लगेगी, जो पुरुषों को कतई बर्दाश्त नहीं होगा।
यदि जादू टोन के नाम पर किसी की मौत होती है तो बस महिला की। डायन बता कर किसी को मारा जाता है तो महिलाओं को। डायन बताकर किसी पुरुष की हत्या की गई हो ऐसा शायद ही आपने सुना हो। जादू-टोना हो या कोई दूसरी बात हम अक्सर महिलाओं को उनकी औकाद दिखाने पर उतारू हो जाते हैं। आज देश में बहस महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की चल रही है। वहीं दूसरी एक खबर उड़ीसा से आई है। खबर सुंदरगढ़ जिले के जंगाला गांव की है। यहां एक महिला को नंगा घुमाया गया। पहले तो इस मिहला पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया गया। उसके बाद उसे हजारों लोगों के सामने निर्वस्त्र कर घुमाया गया। ऐसे करते हैं हम मगिलाओं की इज्जत। उदारवादी और तथाकथित आधुनिक होने का चोला पहनकर हम न जाने कितने कुकर्म करते हैं। इस प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हैं। इनकी छवि साफ सुथरी और अच्छे प्रशासक की है। खैर, होता है। सभी के साथ ऐसा होता है।
हेडिंग में दोगला शब्द का इस्तेमाल कर मैंने ज्यादा ही ओछा शब्द या गाली इस्तेमाल कर लिया तो माफी चाहूंगा। पर इससे सटीक शब्द पुरुषों के लिए इन दो किस्सों के लिए कोई और नहीं लगा।

6 comments:

  1. बेहद संकुचित सोच!
    महिला और पुरष में भेद-भाव स्पष्ट झलक रहा है!

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  2. Shastri ji se sahmat hun, is tarah ki dohri neeti dekhne to khule aam milti hain..mahilaayein doyam darzi ki hi zindagi jeeti hain...har baar apne adhikaar ke liye unhein ladna hi padta hai...
    bahut ji jwalant samasy ki or ingit kiya hai tumne..

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  3. बहुत ही घटिया सोच है, ये मुस्लिम फकीरे तो बात तो बिल्‍कुल झंडुबाम की करते है।

    वैसे मुस्लिम धर्म मे महिलाओ के पास काम ही क्‍या है सिवाय बच्‍चा पैदा करने के, अल्‍लाह की देन तो ठहरी औलाद।

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  4. बात सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की नहीं है, महाशक्त जनाब....किसी भी मजहब में चंद महिलाओं को छोड़ दें तो बाकी सब की वहीं हालत है। हम भी भूले -भटके कभी न कभी ऐसी हरकत अपने परिवार की महिलाओं के साथ कर ही बैठते हैं...........

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  5. अदा जी धन्यवाद इसके लिए बस मैंने एक छोटी सी कोशिश की है.................

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  6. राक्षसों से इससे बेहतर की उम्मीद करते क्यों हो ?

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