जीना सिर्फ मेरा मकसद नहीं

जिंदगी में बहुत ऐसे पल आते हैं, जब हम उदास होते हैं, बेचैन होते हैं। तब लगता है, आखिर यह जीवन क्या है? कभी समझ नहीं पाया। हम दुखी होते हैं, अमूमन हमें इसका कारण पता होता है। लेकिन वास्तिवक वजह वही हो जो हम समझते हैं, यह जरूरी नहीं है। कई बार हमें खुद पर ही यकीन नहीं होता कि हम वही हैं, जो दूसरों को अपने बारे में बताते हैं। ऐसे में लगता है...
जिंदगी जैसे चलती है, चलने दो
जीना है जीओ
बदलाव की उम्मीद मत रखो
वरना खुद बदल दिए जाओग।
हालांकि इन सबसे अलग जब दुनियावी बातें जेहन में आती है तो कुछ इस तरह उम्मीदें हिलोरें मारने लगती है...
चाहत हमेशा होती है कुछ करने की,
पर कुछ भी करता नहीं,
ललक सबसे आगे बढ़ने की,
पर मैं दौड़ता नहीं,
ये कौन बताए जमाने को
कि जीना सिर्फ मेरा मकसद नहीं।।

6 comments:

  1. aapne bahut achha likha hai
    keep writing...

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  2. KYA BAAT HAI JI,
    BAHUT BADHIYA,,,,

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  3. shukriya doston sab aap logon ki dua hai

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  4. ऐसे में पाश की कविता याद आती है..

    सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना...

    अच्छा चिन्तन!!

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