जिंदगी में बहुत ऐसे पल आते हैं, जब हम उदास होते हैं, बेचैन होते हैं। तब लगता है, आखिर यह जीवन क्या है? कभी समझ नहीं पाया। हम दुखी होते हैं, अमूमन हमें इसका कारण पता होता है। लेकिन वास्तिवक वजह वही हो जो हम समझते हैं, यह जरूरी नहीं है। कई बार हमें खुद पर ही यकीन नहीं होता कि हम वही हैं, जो दूसरों को अपने बारे में बताते हैं। ऐसे में लगता है...
जिंदगी जैसे चलती है, चलने दो
जीना है जीओ
बदलाव की उम्मीद मत रखो
वरना खुद बदल दिए जाओग।
हालांकि इन सबसे अलग जब दुनियावी बातें जेहन में आती है तो कुछ इस तरह उम्मीदें हिलोरें मारने लगती है...
चाहत हमेशा होती है कुछ करने की,
पर कुछ भी करता नहीं,
ललक सबसे आगे बढ़ने की,
पर मैं दौड़ता नहीं,
ये कौन बताए जमाने को
कि जीना सिर्फ मेरा मकसद नहीं।।
बहुत खूब, लाजबाब !
ReplyDeleteaapne bahut achha likha hai
ReplyDeletekeep writing...
KYA BAAT HAI JI,
ReplyDeleteBAHUT BADHIYA,,,,
shukriya doston sab aap logon ki dua hai
ReplyDeleteऐसे में पाश की कविता याद आती है..
ReplyDeleteसबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना...
अच्छा चिन्तन!!
aapne bahut achha likha hai
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