इसी तरह का एक किस्सा और है। उसे अगले पोस्ट में आपके सामने लेकर हाजिर होऊंगा।
इस्लाम बनाम विवादों की कहानी
कोई भी धर्म विवादों से अछूता नहीं है। पर बुर्का के बाद अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। हाथ मिलाने का विवाद। जी हां। यदि आप मुसलमानों से हाथ मिलाते हैं तो आपको जुर्माना देना होगा। इसकी वजह यह है कि इस्लाम में इसे हराम माना गया है। पर जरा ठहरिए। आप मुझे गलत समझे इससे पहले मैं सारा माजरा ही साफ किए देता हूं। कहानी भारत की नहीं है। होता तो अब तक शायद बहुत बड़ा बवाल खड़ा हो जाता। हमारी हिंदू सेना (आरएसएस, विश्वहिंदू परिषद और राम सेना) या कई राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरीके से इनका मरम्मत करने में जुट जातीं। मामला स्वीडन का है। यहां की एक सरकारी संस्था ने 60,000 स्वीडीश क्रोनर (स्वीडीश मुद्रा) एक मुसलमान को जुर्माने के तौर पर देने का हुक्म दिया है। साल 2006 में एक शख्स ने दक्षिणी स्वीडन की एक कंपनी में काम करने के लिए इंटरव्यू दिया। अपने इंटरव्यू के दौरान उसने कंपनी की महिला सीईओ से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया। इंटरव्यू के बाद उस मुस्लिम युवक के आवेदन को फाड़ दिया गया यानी उसे नौकरी नहीं मिली। यहां हम आपको बता दें कि एक सच्चा और सक्रिय मुसलमान होने के नाते उस शख्स ने महिला सीईओ से हाथ मिलाने से मना कर दिया था। इसकी कोई दूसरी वजह नहीं थी। हालांकि कंपनी की महिला सीईओ के मुताबिक, उस मुस्लिम युवक के आवेदन को उसके बधाई देने के तरीके की वजह से रद्द नहीं किया गया। पर हां, जिस तरह से उसने मेरे साथ व्यवहार किया, उससे मुझे बेइज्जती का एहसास हुआ। मुझे अपमान का एहसास हुआ। उस लड़के ने मेरे अलावा सभी से हाथ मिलाया। जब उस लड़के का जॉब में सेलेक्शन नहीं हुआ तो उसने स्वीडन के पब्लिक एंप्लॉयमेंट सेंटर में मामले के खिलाफ अपील की। हालांकि वहां उस मुस्लिम लड़के की यीचिका को खारिज कर दिया गया। फिर वह लड़का स्वीडन के भेदभाव की सुवाई करने वाले लोकपाल अदालत में मामले को लेकर गया। कोर्ट ने लड़के के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी मुसलमान को धार्मिक वजहों के चलते एक महिला से हाथ न मिलाने का पूरा अधिकार है। इसलिए इस आधार पर उसकी नौकरी रद्द नहीं की जा सकती है।
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सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeletekya dhrm itna kchcha hai jo hath milane se toot jata hai logon se algav rkhna to is ka mool kam hai
ReplyDeletedr.ved vyathit
वेद व्यथित जी ने सही कहा.
ReplyDeleteसोच के तो आया था विवाद सुलझाउंगा पर इधर सुब्हान अल्लाह क्या खूब लेख पढने को मिला, अल्लाह हमें भी ऐसा बनने की तौफीक दे, आमीन
ReplyDeleteभाई ने ठीक किया वर्ना हाथ तो क्या उंगली पकडने से ही बात कहीं कहीं पहुच जाती है
अगली पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी
भारत में ऐसे कई इलाके हैं जहां एक औरत अपने पति के साथ उसके भाइयों को भी दैहिक सुख प्रदान करती है.दरअसल ये द्रौपदी की परम्परा को मानने का सवाल है रिवाज है.दक्षिण भारत में अपनी सगी भांजी या भातीची से रिश्ता जो होता विवाह का उसे पवित्र माना जाता hai..ऐसे उदाहरण विश्व में ढेरों मिल जायेंगे .घोर अजूबे और विरोधाभासी...
ReplyDeleteलेकिन इन सारे लोगों का धर्म इस्लाम नहीं होता..
और ऐसी ख़बरें न कोई अखबार, न कोई ब्लागर अपना विषय बनाता है..
हाँ कहीं से भी मुस्लिम या इस्लाम का नाम आ जाए तो देखिये..
भाई ऐसा क्यों?????????????????
पूरा इस्लाम ही हराम है
ReplyDeleteशहरोज भाई मैं आपके कहने का मतलब सही से समझ नहीं सका. पर हां इतना कहूंगा कि मैने बस एक तथ्य पेश किए हैं, जो मुझे मिला। और हां मैंने बस इतना कहा कि कोई भी मजहब हो उसमें हमें अपनी संसकृति और तहजीब का घलमेल नहीं करना चाहिए
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