चीन ने 7 अप्रैल को पहली बार
कोरोना वायरस संक्रमण की टाइमलाइन जारी की। 38 पेज
की इस टाइमलाइन में कहा गया है कि इस वायरस का पता पहली बार वुहान में पिछले साल
दिसंबर में लगा था। उस समय एक व्यक्ति में अज्ञात वजहों से निमोनिया होने का पता
चला था। दिसंबर
2019 में उस एक केस के बाद 12 अप्रैल 2020 तक 17 लाख 68 हजार 19 केस हो चुके हैं।
1 लाख 8 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अब इसमे विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी
WHO की
क्या भूमिका है? इसने
कोरोना वायरस महामारी यानी कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए क्या किया?
आख़िर इसने इतने कुछ किया, तो फिर इसके चीफ टेड्रोस गेब्रियेसस
पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
आज इन्हीं सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
WHO चीफ गेब्रेयेसिएस व चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग। फोटोः इंटरनेट |
पहले
शुरू करते हैं कोरोना वायरस के पहले मामले से। तो इसका आगाज होता है 1 दिसंबर, 2019 से। चीन के वुहान शहर में एक महिला
में निमोनिया के लक्षण सामने आते हैं। माना जा रहा है कि वह कोरोना वायरस का सबसे
पहली मरीज़ थी। दिसंबर में इस तरह के कई मामले आए, जिनका कारण पता नहीं चल पा रहा
था। इन्हें सूखी खांसी, बुखार और
सांस लेने में तकलीफ होती थी। इसके बाद चीन ने 31 दिसंबर, 2019 को WHO को इन अजीबोगरीब मामलों की
जानकारी दी। फिर 7 जनवरी 2020 को यह पता चला कि
ये तो वायरस का नया स्ट्रेन है। इसका नाम नोवेल कोरोना वायरस रखा गया। 11 जनवरी को चीन में इससे पहली मौत की घोषणा की गई। इसके बाद 13 जनवरी को चीन
से बाहर थाईलैंड में पहला केस आया। 30 जनवरी तक यह वायरस चीन के अलावा 18 देशों तक पहुंच चुका था। 30 जनवरी को ही WHO ने कोरोना वायरस को ग्लोबल हेल्थ
इमरजेंसी घोषित कर दिया। 11 मार्च को कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया।
लेकिन इन
घटनाक्रमों के बीच काफी कुछ ऐसा भी घटा, जिससे आरोप लगने लगे हैं कि WHO ने कोरोना संकट के लिए चीन को बचाने का काम किया है? WHO के मुखिया पर आरोप लग रहे हैं
कि कोविड-19 को लेकर उसने कमज़ोर, लेटलतीफ और बगैर सोचने-समझने
की रणनीति अपनाई। बात-बात में चीन का बचाव करते दिखे, जबकि यह साफ है कि यह वायरस
चीन से ही निकला और पूरी दुनिया में फैल गया।
अमेरिकी
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल में टेड्रोस के चीनी समर्थक बयानों को लेकर कहा कि डब्ल्यूएचओ
के महानिदेशक ने पक्षपात किया है। कोरोना वायरस संक्रमण के दुनिया भर में फैल जाने के पीछे
चीन को ज़िम्मेदार ठहराए जाने के मामले में डब्ल्यूएचओ की तरफ से टेड्रोस ने चीन
की तरफ़दारी की और चीन को दुनिया के संकट के लिए ज़िम्मेदार मानने से इनकार किया।
वेबसाइट द हिल की रिपोर्ट कहती है कि चीन ने इथोपिया में भारी निवेश किया है,
इसलिए टेड्रोस उसका बचाव करने पर मजबूर हैं। टेड्रोस इथोपिया से ही आते हैं। यह भी
कहा जा रहा है कि वह इथोपिया के कम्युनिस्ट नेता रहे हैं।
ख़ैर
हम लौटते हैं असल मुद्दे पर कि किस तरह से विश्व स्वास्थ्य संगठन औऱ टेड्रोस ने इस
पूरे मामले को बिगाड़ा औऱ कोविड-19 को महामारी बनने दी। पूरी दुनिया को मौत की
संख्या में झोंक दिया। दरअसल, इस बात के सबूत मिले हैं कि कोरोना वायरस अक्टूबर 2019
के बीच में ही इंसानों में फैल चुका था, लेकिन डब्लूएचओ ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई।
वहीं, जनवरी 2020 में महामारी के शुरुआती दौर में चीन द्वारा इसके लिए उठाए जा रहे
कदमों और इसके महामारी बनने को लेकर पारदर्शिता अपनाने के लिए उसकी तारीफ की।
हालांकि, 13 जनवरी को चीन के बाहर थाईलैंड इससे मौत का मामला आ चुका था। ताइवान ने
WHO को इस बारे में दिसंबर
में ही सावधान कर दिया था। इस बीच कोविड-19
महामारी
दुनिया भर में तेजी से फैल रही थी। टेड्रोस और उनकी टीम फिर भी दुनिया के देशों को
यात्राओं पर रोक न लगाने की बात कर रहे थे। जब अमेरिका ने जनवरी में ही चीन से आने
वालों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया, तो इसने अमेरिका की ही आलोचना की। आज पूरी दुनिया
इस महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन और ट्रैवल बैन लागू कर चुकी है, लेकिन WHO ने इसके उलट सलाह दी।
अब
जबकि अमेरिका और चीन के बीच इस महामारी को लेकर तू-तू मैं-मैं जारी है, तो इसकी बड़ी
वजह खुद टेड्रोस हैं। अमेरिकी सीनेटर टॉड यंग ने WHO प्रमुख डॉ. टेड्रोस को अमेरिकी सीनेट की फॉरेन रिलेशंस सबकमेटी के
सामने पेश होने को कहा। उन्होंने पूछा कि आप बताइए कि आपके संगठन ने कैसे इस
महामारी को संभाला? सीनेटर यंग ने कहा कि चीन
कोरोना वायरस को संभालने में बुरी तरह से कमजोर साबित हुआ और उसने दुनिया को सही
आंकड़े नहीं बताए। टॉड यंग ने कहा कि डब्ल्यूएचओ प्रमुख चीन के साथ ऐसे खड़े थे,
जैसे कोई असिस्टेंट खड़ा रहता है।
उधर,
ताइवान जिसने पहले इस वायरस को लेकर WHO को चेताया था, उसने
टेड्रोस पर कई आरोप लगाए। दरअसल, टेड्रोस ने ताइवान पर निशाना साधते हुए कहा
था कि तीन महीने पहले ताइवान ने मुझ पर निजी हमला किया। लेकिन ताइवान ने कहा कि टेड्रोस
को अपने गैर जिम्मेदाराना बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। दरअसल, मामला तीन महीने
पहले का है और डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस गेब्रेयेसिएस ने आरोप लगाया था कि कोरोना
के खिलाफ जारी लड़ाई के दौरान तीन महीने पर उन्हें जान से मारने की धमकी मिली। मुझे
नीग्रो और अश्वेत कहा गया। अब सवाल यह भी उठता है कि जब मामला तीन महीने पहले का
है और उन पर अमेरिका सहित कई देश चीन का साथ देने और पूरी दिया को कोरोना वायरस को
लेकर अंधेरे में रखने के आरोपों को लेकर हमला कर रहे हैं, तो इस तरह से खुद को
डिफेंड करना किस हद तक जायज है। मुमकिन है कि उनके साथ हुआ हो, तो फिर सवाल यह भी
है कि आख़िर यह बात अभी कैसे आई। वह भी तब जब उन पर हर तरह से हमले हो रहे हैं।
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