यह सच है कि दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात की वजह
से देश में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग को नुकसान पहुंचा। इसकी वजह से कोरोना के
हज़ारों मरीजों की संख्या बढ़ गई। कुछ अप्रत्याशित ख़बरें भी आईं। ऐसी ख़बरें आईं, जो साफ़ बताती है कि
हमारा मीडिया कैसे इस्लामोफोबिया से ग्रसित है। इसकी वजह से वह फेक न्यूज़ फैलाने
से भी बाज नहीं आता। ट्विटर पर दो मामलों में तो उत्तर प्रदेश पुलिस को बाकायदा
चेतावनी तक देनी पड़ी।
पहला मामला सहारनपुर का है, यहां ख़बर
चलाई/छापी गई कि यहां क्वारंटीन किए गए तबलीगी जमात केलोग खाने में नॉनवेज न मिलने
पर हंगामा कर रहे हैं। बाहर खुले में ही शौच कर देरहे हैं। सहारनपुर पुलिस ने
बाकायदा नोटिस चस्पा करके इसका खंडन किया। पुलिस ने साफ कहा की ख़बर के बाद मामले
की जांच की गई जो ग़लत निकली। फेक न्यूज़ थी। लेकिन इसका खंडन कहीं छपा नहीं। वैसे
भी इस तरह एक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ ख़बरे प्रमुखता से छपती हैं और खंडन कोने में।
खंडन की यही विडंबना है। वैसे, ऐसी महामारी में झूठी खबरें फैलाने वाले किस जमात के लोग
हैं? इनकी खबर कौन लेगा?
इसी तरह उत्तर प्रदेश के औरेया ज़िले का एक मामला है। यहां
वॉट्सऐप के जरिए अफवाह फैलाई गई कि दिल्ली से आए 4-5 जमाती छिपे रहे
और बाद में गायब हो गए। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई की तो ख़ुद को पत्रकार
कहने वाले एक शख्स को गिरफ्तार किया।
एक मामला है मशहूर न्यूज एजेंसी एएनआई का। एजेंसी ने डीसीपी
के हवाले से ख़बर चलाई कि उत्तर प्रदेश के ही नोएडा के सेक्टर-5 के हरोला में तबलीगी जमात के संपर्क में आने वाले लोगों को
क्वांरटीन किया गया है। बाद में डीसीपी नोएडा ने इसका खंडन किया और कहा कि ‘हमने तबलीगी जमात का नाम नहीं लिया था। कोरोना पॉजिटिव के
संपर्क में आने वाले लोगों को नियमों के हिसाब से क्वारंटीन किया गया है।’ डीसीपी नोएडा ने साफ कहा कि आप (न्यूज़ एजेंसी) गलत बात को
कोट कर रहे हैं और फेक न्यूज फैला रहे हैं।
इसी तरह ज़ी न्यूज के उत्तरप्रदेश/उत्तराखंड ट्विटर हैंडल
से ट्वीट किया गया कि फिरोजाबाद में चार तबलीगी जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं
औऱ जब उन्हें लेने मेडिकल टीम गई, तो उन पर पथराव किया गया।
इस पर फिरोजाबाद पुलिस ने ट्विटर पर जवाब दिया कि आपके द्वारा असत्य और भ्रामक
खबरे फैलाई जा रही हैं। फिरोजोबाद में न ही किसी मेडिकल टीम और न ही किसी
एम्बुलेंस पर पथराव किया गया है। फिरोजाबाद पुलिस ने तत्काल जी न्यूज को ट्वीट
डिलीट करने को कहा। इसके बाद जी न्यूज की तरफ से ट्वीट डिलीट भी कर दिया गया। यानी
फेक न्यूज फैलाने वाले को बैकफुट पर आना पड़ा।
बात यहीं नहीं थमती। यह तो मेन स्ट्रीम मीडिया का हाल है।
सोशल मीडिया पर भी इस तरह की कई बातें फैलाई जा रही हैं, जिनका सच्चाई से दूर-दूर तक लेना नहीं है। फैक्ट चेक
वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के मुताबिक, फेसबुक पेज ‘हिंदुस्तान की आवाज़ लाइव’ ने एक वीडियो
शेयर करते हुए लिखा है, “देखिए 14 दिन के एकांतवास में भी इन तबलीगी जमात के लोगों ने
अश्लीलता और आतंक मचा रखा है…… क्वारंटीन में जमकर किया
हंगामा। #सरम नाम की सारी हदें कर
दी पार #खेला नंगा नाच. वीडियो
हुवा वाइरल# प्रशासन है इन लोगो से
परेशान#” ऑल्ट न्यूज ने जब फैक्ट
चेक किया तो पता चला कि मामला तो पाकिस्तान का है। वहां के एक पुराने वीडियो को इस
गलत दावे से शेयर किया जा रहा था कि आइसोलेशन वॉर्ड में तबलीगी जमात के लोग नंगा
घूम रहे हैं और तोड़-फोड़ कर रहे हैं।
यह सारा शुरू हुआ निजामुद्दीन वाला मामला सामने आने के बाद।
जब से जमात वाली ख़बर आई, तब से #CORONAJIHAD और #NizamuddinIdiot
जैसे हैशटैग से
मुसलमानों के खिलाफ तरह-तरह की फर्जी खबरें यानी फेक न्यूज और अफवाहें फैलाई जा
रही हैं। फेक न्यूज़ ऐसी बाढ़ आई कि एक डॉक्यूमेट्री फिल्ममेकर यूसुफ सईद ने सोशल
मीडिया पर पिछले कुछ सप्ताह के दौरान इन तमाम फेक न्यूज की लिस्ट बनानी शुरू कर
दी। वह कहते हैं, ‘हम उनकी लापरवाही के लिए
तबलीगियों का बचाव नहीं कर रहे हैं।‘ लेकिन, इस तरह की फेक न्यूज़ का मकसद क्या है? सईद ने 5 अप्रैल को अपने फेसबुक
पेज पर कुछ फर्जी यानी फेक न्यूज की रिपोर्ट और उससे जुड़े स्पष्टीकरण को पब्लिश
किया है।
इनमें से एक उदाहरण देता हूं कि कैसे तबलीगी जमात का मामला
सामने आने के बाद मुसलमानों से संबंधित पुराने वीडियो शेयर करने की बाढ़ आ गई है।
जैसे- एक वीडियो खूब वायरल हुआ, जिसमें कुछ मुसलमान बर्तन
को थूक से जूठा कर रहे हैं। वीडियो शेयर करने के दौरान कहा गया कि कोरोनो वायरस
फैलाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है। बाद में पता चला कि यह वीडियो 2018 का था। इसमें दाउदी बोहरा संप्रदाय के सदस्यों ऐसा कर रहे
थे। दरअसल, दाउदी बोहरा संप्रदाय
अनाज का एक भी दाना बर्बाद न करने में विश्वास करता है। इस वीडियों में वे बर्तन
नहीं चाट रहे थे या जूठा कर रहे थे, बल्कि उसे धोने से पहले
साफ कर रहे थे।
तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आख़िर कोरोना वायरस के नाम पर
हम क्या कर रहे हैं? दरअसल, हमारे देश में जब तक हजरत निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का
मामला सामने नहीं आया था, तब तक कोरोना से हमारी
जंग सही चल रही थी। टीवी चैनलों और कुछ अखबारों ने दिल्ली दंगों के बाद
हिंदू-मुसलमान बंद ही किया था कि यह एक नई महामारी आ गई। उनकी मेहनत और ऊर्जा वैसी
नहीं दिख रही थी, क्योंकि देश एकजुट होकर
इस वैश्विक आपदा का सामना कर रहा था। सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम की मीडिया
तक में हम एकजुट होकर लड़ रहे थे, लेकिन तभी नया मसाला
मिला। तबलीगी जमात का। यहीं से कोरोना से जंग ने रुख मोड़ लिया।
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