महिला दिवस के मायने

शुरुआत महिला दिवस से। लेकिन बात करूंगा दो महिलाओं की। क्योंकि मुझे लगता है, ज्ञान बघारने से बेहतर है, हालात को समझना।
सानिया की सगाई की ख़बरों से उनके प्रशंसक निराश हुए थे। उसके बाद इस बात से हैरान हुई कि आख़िर सानिया की सगाई टूटने की असलियत क्या है? यह बेहद दिलचस्प है कि सानिया ने जिससे सगाई की, उसे वह बहुत पहले से जानती थीं। लेकिन सानिया के मुताबिक, सगाई होने के बाद उनको इसका एहसास हुआ कि वह एक दूसरे के लिए नहीं बनें है। लेकिन सगाई टूटने की वजह कुछ और थी। क्योंकि दोनों एक-दूसरे को बचपन से जानते थे और ऐसे में इस बात पर आसानी से यकीन करना मुश्किल ही है कि दोनों एक-दूसरे के मनमाफिक नहीं थे। इस सगाई के टूटने के पीछे की वजह एक भारतीय टेनिस खिलाड़ी ही है। वह हैं, महेश भूपति. कुछ दिनों पहले इन दोनों के बीच प्रेम प्रसंग की बात सामने आई थी. और, ऐसा माना जा रहा था कि हाल ही में भूपति ने अपनी पत्नी को तलाक इन्हीं वजहों से दिया। यह खबर मीडिया में हर जगह सुर्खियां बटोरती नजर आई। लेकिन फिर वही मीडिया चुप है तो हर जगह खामोशी है। लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि सानिया के खेल में अब सुधार होगा। लेकिन कहां हुआ? हल्ला था शादी के बाद वह खेल छोड़ देंगी। वह भी नहीं हुआ। जब शादी नहीं की, तो खेल छोड़ने का मतलब ही नहीं बनता।
लेकिन इन सबके बीच मुझे जो बात सबसे ज्यादा कचोटती है, वह यह कि आखिर सानिया ने वह कौन सी उपलिब्ध हासिल कर ली, जो उसे रातोंरात स्टार बना दिया गया। एक महिला होने के नाते उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया। कई लोगों का यह तर्क हो सकता है। इसमें कोई शक भी नहीं है। लेकिन सानिया की तरह कई महिलाओं ने भी महिला होकर बड़े बड़े नाम किए हैं। वह आज कहीं नहीं हैं। आज जब आप 12 बजे के बाद दिल्ली की सड़कों से गुजरेंगे तो एहसास हो जाएगा कि महिलाएं क्या करती हैं? दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेल का भव्य आयोजन होने वाला है। इसके लिए दिल्ली को संवारा सजाया जा रहा है। इनमें महिलाओं का योगदान कम नहीं है। वह सिर पर ईंट ढोती और सड़क निर्माण में व्यस्त आपको नजर आ जाएंगी। मर्दों को हर तरह से चुनौती देने को तैयार हैं, महिलाएं. सानिया ने चंद पदक जीतेने के बाद आज लगातार पहले या दूसरे सेट में प्रतियोगिता से बाहर हो जा रही हैं। लेकिन उनकी जिंदगी ऐशोआराम से गुजर रही है। पर इन महिलाओं का क्या ? निराला ने भी अपनी रचना वह तोड़ती पत्थर में क्या बात कही थी। वो तोड़ती पत्थर, देखा मैंने उसको इलाहाबाद के पथ पर। आज हर जगह देख सकता है हर कोई......

2 comments:

  1. सही कहा आपने महिला दिवस के सम्मान में उम्मीद करत हु कि आपको मेरा ब्लॉग भी प्संद आए जरुर पढे http://bit.ly/9Ctt9K

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  2. सही कहा है आपने । सबके लिए इसके अलग-अलग मायने हैं ।

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